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*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*
*!! दो पत्तों की कहानी !!*
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एक समय की बात है। गंगा नदी के किनारे पीपल का एक पेड़ था। पहाड़ों से उतरती गंगा पूरे वेग से बह रही थी कि अचानक पेड़ से दो पत्ते नदी में आ गिरे।
एक पत्ता आड़ा गिरा और एक सीधा। जो आड़ा गिरा वह अड़ गया; कहने लगा, “आज चाहे जो हो जाए मैं इस नदी को रोक कर ही रहूँगा… चाहे मेरी जान ही क्यों न चली जाये मैं इसे आगे नहीं बढ़ने दूंगा।”
वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा – रुक जा गंगा… अब तू और आगे नहीं बढ़ सकती… मैं तुझे यहीं रोक दूंगा!
पर नदी तो बढ़ती ही जा रही थी… उसे तो पता भी नहीं था कि कोई पत्ता उसे रोकने की कोशिश कर रहा है।
पर पत्ते की तो जान पर बन आई थी। वो लगातार संघर्ष कर रहा था। नहीं जानता था कि बिना लड़े भी वहीं पहुंचेगा, जहाँ लड़कर.. थककर.. हारकर पहुंचेगा! पर अब और तब के बीच का समय उसकी पीड़ा का… उसके संताप का काल बन जायेगा।
वहीं दूसरा पत्ता जो सीधा गिरा था, वह तो नदी के प्रवाह के साथ ही बड़े मजे से बहता चला जा रहा था।
यह कहता हुआ कि “चल गंगा, आज मैं तुझे तेरे गंतव्य तक पहुँचा के ही दम लूँगा… चाहे जो हो जाये मैं तेरे मार्ग में कोई अवरोध नहीं आने दूँगा… तुझे सागर तक पहुँचा ही दूँगा।”
नदी को इस पत्ते का भी कुछ पता नहीं… वह तो अपनी ही धुन में सागर की ओर बढ़ती जा रही थी। पर पत्ता तो आनंदित है, वह तो यही समझ रहा है कि वही नदी को अपने साथ बहाये ले जा रहा है।
आड़े पत्ते की तरह सीधा पत्ता भी नहीं जानता था कि चाहे वो नदी का साथ दे या नहीं, नदी तो वहीं पहुंचेगी जहाँ उसे पहुँचना है! पर अब और तब के बीच का समय उसके सुख का… उसके आनंद का काल बन जायेगा।
जो पत्ता नदी से लड़ रहा है… उसे रोक रहा है, उसकी जीत का कोई उपाय संभव नहीं है और जो पत्ता नदी को बहाये जा रहा है उसकी हार को कोई उपाय संभव नहीं है।
हमारा जीवन भी उस नदी के समान है जिसमें सुख और दुःख की तेज धारायें बहती रहती हैं।
और जो कोई जीवन की इस धारा को आड़े पत्ते की तरह रोकने का प्रयास भी करता है, तो वह मुर्ख है, क्यों कि ना तो कभी जीवन किसी के लिये रुका है और ना ही रुक सकता है।
वह अज्ञान में है जो आड़े पत्ते की तरह जीवन की इस बहती नदी में सुख की धारा को ठहराने या दुःख की धारा को जल्दी बहाने की मूर्खता पूर्ण कोशिश करता है।
क्योंकि सुख की धारा जितने दिन बहनी है.. उतने दिन तक ही बहेगी। आप उसे बढ़ा नहीं सकते और अगर आपके जीवन में दुःख का बहाव जितने समय तक के लिये आना है वो आ कर ही रहेगा, फिर क्यों आड़े पत्ते की तरह इसे रोकने की व्यर्थ मेहनत करें।
बल्कि जीवन में आने वाली हर अच्छी बुरी परिस्थितियों में खुश हो कर जीवन की बहती धारा के साथ उस सीधे पत्ते की तरह ऐसे चलते जाओ… जैसे जीवन आपको नहीं बल्कि आप जीवन को चला रहे हो। सीधे पत्ते की तरह सुख और दुःख में समता और आनन्दित होकर जीवन की धारा में मौज से बहते जायें।
और जब जीवन में ऐसी सहजता से चलना सीख गए तो फिर सुख क्या? और दुःख क्या?
*शिक्षा:-*
जीवन के बहाव में ऐसे ना बहें कि थक कर हार भी जायें और अंत तक जीवन आपके लिए एक पहेली बन जाये। बल्कि जीवन के बहाव को हँस कर ऐसे बहाते जायें कि अंत तक आप जीवन के लिये पहेली बन जायें।
सुख हमारी स्वयं की सम्पत्ति है.. इसे बाहर नहीं अपने भीतर ही ढूंढें। इससे आप सदैव सुखी रहेंगे..!!
*सदैव प्रसन्न रहिये – जो प्राप्त है, पर्याप्त है।*
*जिसका मन मस्त है, उसके पास समस्त है।।*
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
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*15 JUNE 2025*
*🦋 आज की प्रेरणा 🦋*
यदि आप कुछ ऐसा पाना चाहते हैं जो आपके पास कभी नहीं था तो उसके लिए आपको वो करने के लिए तैयार रहना होगा जो आपने कभी नहीं किया।
*आज से हम* नयी चीज़ें आज़माने से संकोच न करें।
*💧 TODAY’S INSPIRATION 💧*
If you want something you’ve never had, you must be willing to do something you’ve never done!
*TODAY ONWARDS LET’S* not shy away from trying new things.
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*15 JUNE 2025*
*🦋 आज की प्रेरणा 🦋*
यदि आप कुछ ऐसा पाना चाहते हैं जो आपके पास कभी नहीं था तो उसके लिए आपको वो करने के लिए तैयार रहना होगा जो आपने कभी नहीं किया।
*आज से हम* नयी चीज़ें आज़माने से संकोच न करें।
*💧 TODAY’S INSPIRATION 💧*
If you want something you’ve never had, you must be willing to do something you’ve never done!
*TODAY ONWARDS LET’S* not shy away from trying new things.
🍃💫🍃 Thanks for reading..🌾🍃🌾🍃💫🍃💫🍃
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