*आज की प्रेरणा* 🦋
- नाम बड़ा किस काम का जो काम किसी के न आये… सागर से नदियां भली जो सबकी प्यास बुझाए।
*आज से हम* दूसरों के काम आएं।
💧 *TODAY’S INSPIRATION* 💧
What’s the use of being …popular, if one is not of use to others… Rivers are better than the sea, in that they quench the thirst of all.
*TODAY ONWARDS LET’S* be of use to others.
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*!! सोच का फर्क !!*
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एक बार एक पिता और उसका पुत्र जलमार्ग से कहीं यात्रा कर रहे थे और तभी अचानक दोनों रास्ता भटक गये। फिर उनकी नौका भी उन्हें ऐसी जगह ले गई, जहाँ दो टापू आस-पास थे और फिर वहाँ पहुंच कर उनकी नौका टूट गई।
पिता ने पुत्र से कहा, “अब लगता है, हम दोनों का अंतिम समय आ गया है, दूर-दूर तक कोई सहारा नहीं दिख रहा है।”
अचानक पिता को एक उपाय सूझा, अपने पुत्र से कहा कि, “वैसे भी हमारा अंतिम समय नज़दीक है, तो क्यों न हम ईश्वर की प्रार्थना करें।”
उन्होंने दोनों टापू आपस में बाँट लिए। एक पर पिता और एक पर पुत्र, और दोनों अलग-अलग टापू पर ईश्वर की प्रार्थना करने लगे।
पुत्र ने ईश्वर से कहा, ”हे भगवन, इस टापू पर पेड़-पौधे उग जाए जिसके फल-फूल से हम अपनी भूख मिटा सकें।”
ईश्वर द्वारा प्रार्थना सुनी गयी, तत्काल पेड़-पौधे उग गये और उसमें फल-फूल भी आ गये। उसने कहा ये तो चमत्कार हो गया।
फिर उसने प्रार्थना कि, “एक सुंदर स्त्री आ जाए जिससे हम यहाँ उसके साथ रहकर अपना परिवार बसाएँ।”
तत्काल एक सुंदर स्त्री प्रकट हो गयी।
अब उसने सोचा कि मेरी हर प्रार्थना सुनी जा रही है, तो क्यों न मैं ईश्वर से यहाँ से बाहर निकलने का रास्ता माँग लूँ ? उसने ऐसा ही किया।
उसने प्रार्थना कि, एक नई नाव आ जाए जिसमें सवार होकर मैं यहाँ से बाहर निकल सकूँ।
तत्काल नाव प्रकट हुई और पुत्र उसमें सवार होकर बाहर निकलने लगा।
तभी एक आकाशवाणी हुई, बेटा तुम अकेले जा रहे हो? अपने पिता को साथ नहीं लोगे ?
पुत्र ने कहा, उनको छोड़ो, प्रार्थना तो उन्होंने भी की, लेकिन आपने उनकी एक भी नहीं सुनी। शायद उनका मन पवित्र नहीं है, तो उन्हें इसका फल भोगने दो ना ?
आकाशवाणी ने कहा, ‘क्या तुम्हें पता है कि तुम्हारे पिता ने क्या प्रार्थना की ?
पुत्र बोला, नहीं।
आकाशवाणी बोली तो सुनो, तुम्हारे पिता ने एक ही प्रार्थना की… “हे भगवन! मेरा पुत्र आपसे जो भी माँगे, उसे दे देना क्योंकि मैं उसे दुःख में हरगिज़ नहीं देख सकता औऱ अगर मरने की बारी आए तो मेरी मौत पहले हो” और जो कुछ तुम्हें मिल रहा है उन्हीं की प्रार्थना का परिणाम है।
पुत्र बहुत शर्मिंदा हो गया।
*शिक्षा:-*
सज्जनों! हमें जो भी सुख, प्रसिद्धि, मान, यश, धन, संपत्ति और सुविधाएं मिल रही है उसके पीछे किसी अपने की प्रार्थना और शक्ति जरूर होती है लेकिन हम नादान रहकर अपने अभिमान वश इस सबको अपनी उपलब्धि मानने की भूल करते रहते हैं और जब ज्ञान होता है तो असलियत का पता लगने पर सिर्फ़ पछताना पड़ता है। हम चाह कर भी अपने माता-पिता का ऋण नहीं चुका सकते हैं। एक पिता ही ऐसा होता है जो अपने पुत्र को ऊच्चाईयों पर पहुँचाना चाहता है। पर पुत्र मां बाप को बोझ समझते हैं। इसलिए आप हमेशा जरुरतमंदों की सहायता करते रहिये।
*सदैव प्रसन्न रहिये – जो प्राप्त है, पर्याप्त है।*
*जिसका मन मस्त है – उसके पास समस्त है।।*
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*आज की प्रेरणा* 🦋
- ज़िंदगी कभी आसान नहीं होती, इसे आसान बनाना पड़ता है, कुछ नज़रअंदाज़ करके और कुछ स्वीकार करके।
*👉 आज से हम* उन बातों को स्वीकार करें जिन्हें हम बदल नहीं सकते…
💧 *TODAY’S INSPIRATION*💧
Life is never easy; we have to make it easy… sometimes by ignoring something and sometimes by accepting something!
*👉 TODAY ONWARDS LET’S*
accept the things that we cannot change.
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*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*
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*!! मोर की शिकायत !!*
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एक बार एक मोर था जो बहुत सुन्दर था, उसके पंख बेहद खूबसूरत थे। एक दिन खूब झम–झम बारिश हुई और मोर नाचने लगा। नाचते हुए वह अपनी खूबसूरती को निहार रहा था, पर अचानक उसका ध्यान उसकी आवाज पर गया, जो कि बेहद बेसुरा और कठोर था। इस बात का एहसास होते ही वह बेहद उदास हो गया और उसके आंखों में आंसू आ गएं। तभी अचानक, उसे एक कोयल गाती हुए सुनाई दी।
कोयल की मधुर आवाज को सुनकर, मोर को उसकी कमी एक बार फिर एहसास हुआ। वह सोचने लगा कि भगवान ने उसे सुंदरता तो दी पर बेसुरा क्यों बनाया। तभी एक देवी प्रकट हुई और उन्होंने मोर से पूछा “मोर, तुम क्यों उदास हो?”
मोर ने देवी से अपनी कठोर आवाज के बारे में शिकायत की और उनसे पूछा, “कोयल की आवाज इतनी मीठी है पर मेरी क्यों नहीं? इसलिए मैं दुःखी हूँ।
अब मोर की बात सुनकर, देवी ने समझाया, “भगवान के द्वारा सभी का हिस्सा निर्धारित है, हर जीव अपने तरीके से खास होता है। भगवान ने उन्हें अलग–अलग बनाया है और वे एक निश्चित काम के लिए हैं। उन्होंने मोर को सुंदरता दी, शेर को ताकत और कोयल को मीठी आवाज! हमें भगवान के दिए इन उपहारों का सम्मान करना चाहिए और जितना है उतने में ही खुश रहना चाहिए।”
देवी की बातों को सुनकर मोर समझ गया कि दूसरों से तुलना नहीं करनी चाहिए बल्कि खुद के हुनर की सराहना करनी चाहिए और उसे और निखारना चाहिए। मोर उस दिन समझा कि हर व्यक्ति किसी न किसी तरह से यूनिक होता है।
*शिक्षा:-*
खुद को स्वीकार करना ही खुशी का पहला कदम है। जो कुछ भी आपके पास नहीं है उसके लिए दुःखी होने के बजाय, आपके पास जो है उसे स्वीकार करें।
*सदैव प्रसन्न रहिये – जो प्राप्त है, पर्याप्त है।*
*जिसका मन मस्त है – उसके पास समस्त है।।*
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*01 MAY 2025*
🦋 *आज की प्रेरणा* 🦋
आप दुनिया को प्रकाशित करने के लिए ही पैदा हुए हैं।
*आज से हम* चैतन्य दीपक बनकर दुख, मायूसी और निराशा के अंधेरे को दूर करें।
💧 *TODAY’S INSPIRATION* 💧
You were born to light up the world.
*TODAY ONWARDS LET’S* be living lights that dispel the darkness of sorrow, despair and hopelessness.
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